
सावन में क्यों नहीं खाते हैं मांसाहारी भोजन ? लहसून और प्याज भी क्यों है वर्जित, जानिए इसके वैज्ञानिक और धार्मिक कारण
3 दिन पहले
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उपेंद्र गुप्ता
रांची ( RANCHI) । सावन का महीना भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक, धार्मिक और शुद्धता से भरपूर समय माना जाता है. इस दौरान भगवान शिव की उपासना, व्रत, उपवास और सात्विक आहार का विशेष महत्व होता है. खास बात यह है कि इस महीने में मांसाहारी भोजन के साथ लहसुन और प्याज जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से परहेज़ करते है. लेकिन आखिर ऐसा क्यों? क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार भी है? क्या लहसुन-प्याज त्यागने से शरीर शुद्ध होता है?
धार्मिक कारणों से भी म नाही है मांस और लहसून-प्याज

हिंदू धर्म में लहसुन और प्याज को राजसिक और तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है. सावन में शिव भक्ति के लिए मन को सात्विक बनाए रखने की परंपरा है. तामसिक आहार मन में क्रोध, आलस्य और भ्रम उत्पन्न करता है, इसलिए इससे परहेज किया जाता है. व्रत और उपवास के दौरान मन वचन और शरीर की शुद्धता आवश्यक होती है. लहसुन और प्याज को अपवित्र माना जाता है क्योंकि इन्हें जमीन के नीचे उगाया जाता है और इनमें तेज गंध होती है.
धार्मिक ग्रंथ शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव को सात्विक आहार अर्पित किया जाता है. इसलिए उनके प्रिय महीने सावन में भी सात्विक आहार का पालन होता है.
वैज्ञानिक और स्वास्थ्य कारणों से वर्जित है तामसी भोजन
आयुर्वेद के अनुसार, लहसुन और प्याज में अत्यधिक उष्ण गुण होते हैं. ये पेट की गर्मी बढ़ा सकते हैं, जिससे सावन की नमी भरे मौसम में गैस, अपच, और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. सावन में मौसम नम और आद्रता से भरा होता है. ऐसे में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है. हल्का और सात्विक भोजन शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है. लहसुन-प्याज का त्याग कर शरीर पर अनावश्यक दबाव नहीं डाला जाता. आधुनिक शोधों से पता चला है कि लहसुन और प्याज में सल्फर यौगिक होते हैं जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर प्रभाव डाल सकते हैं. विशेष रूप से ध्यान और योग अभ्यास में ये बाधक माने जाते हैं.
सावन में आर्द्रता के कारण त्वचा पर फोड़े-फुंसी, खुजली और संक्रमण की समस्या बढ़ जाती है. लहसुन और प्याज की गर्म तासीर इस समस्या को बढ़ा सकती है.
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण से भी त्याग किया जाता है
लहसुन-प्याज से परहेज़ एक प्रकार का सामाजिक अनुशासन है. यह सामूहिकता और पारिवारिक एकता को बढ़ावा देता है. जब हम कुछ चीजों का त्याग करते हैं, तो यह हमारे मन को नियंत्रित करने की शक्ति देता है. यह आत्मसंयम की भावना को बढ़ाता है. सावन में सामूहिक व्रत, पूजा और भजन-कीर्तन होते हैं. ऐसे माहौल में सात्विक आहार मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है.
मन को मिलती है शांति
सात्विक आहार जैसे फल, सब्जियां, दूध, दही, अनाज शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है. इससे लीवर, किडनी और पाचन तंत्र को आराम मिलता है. लहसुन और प्याज को त्यागने से शरीर हल्का महसूस करता है और ऊर्जा का स्तर संतुलित रहता है. सात्विक आहार मानसिक स्थिरता और एकाग्रता को बढ़ाता है. इसलिए योग और ध्यान में इसे सर्वोत्तम आहार माना गया है.
सावन में लहसुन और प्याज का त्याग केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और स्वास्थ्य दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी है. यह महीना आत्मसंयम, शरीर की शुद्धता और मानसिक शांति प्राप्त करने का समय है. यदि हम इस अवसर का उपयोग करें और थोड़े समय के लिए ही सही, सात्विक जीवनशैली अपनाएं, तो हमारा शरीर, मन और आत्मा सभी को लाभ मिलेगा.