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11 सितंबर को भाजपा क्यों करेगी राज्यव्यापी प्रदर्शन,किसे लेकर सीएम आवास का करेंगे घेराव, पढ़िए खबर में

सित. 7

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न्यूज डेस्क

रांची ( RANCHI) : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विपक्षी दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रविवार को पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राजनीतिक कार्यकर्ता सूर्या हांसदा की पुलिस द्वारा की गई नृशंस हत्या और नगड़ी के आदिवासी रैयतों से रिम्स 2 के नाम पर हेमंत सरकार द्वारा जमीन छीने जाने को पार्टी ने गम्भीरता से लिया है. पार्टी ने पहले भी सदन से लेकर सड़क तक आवाज बुलंद किया है. लेकिन सरकार अपने जिद्द पर अड़ी है. इसलिए भाजपा फिर इस मुद्दे को लेकर जोरदार आंदोलन करने जा रही है. आगमी 11 सितंबर को दोनों मुद्दों को लेकर राज्य के सभी 216 प्रखंडों में प्रदर्शन कर महामहिम राज्यपाल के नाम से प्रखंड विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम तय किया है.प्रेसवार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, प्रवक्ता अजय साह भी उपस्थित थे.

 पुलिस दोषी नहीं तो सीबीआई जांच कराएं हेमंत सरकार

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सूर्या हांसदा एक राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता थे, बोरियो विधानसभा क्षेत्र से वे चार बार चुनाव लड़े थे. अपने घर में वे भवन बनाकर 250 से अधिक गरीब आदिवासी बच्चों को सिर्फ पढ़ाने की नहीं बल्कि उनके भोजन आवास की भी चिंता करते थे. एक जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वे ललमटिया कोयला खदान से कोयले को चोरी अवैध उत्खनन के खिलाफ आवाज उठाते थे. अपने विधानसभा चुनाव क्षेत्र बोरियो अंतर्गत मिर्जा चौकी जो पत्थर उत्खनन का क्षेत्र है से बड़े पैमाने पर राज्य सरकार  के संरक्षण में होने वाले पत्थर तस्करी का विरोध करते थे. इसलिए वे अवैध कारोबार करने वालों केलिए और उनके संरक्षकों के आंखों की किरकिरी बने हुए थे.

उन्होंने कहा कि अवैध खनन माफियाओं दलाल,बिचौलियों ने स्व. सूर्या हांसदा को रास्ते से हटाने केलिए सुनियोजित तरीका अपनाया. देवघर जिला के मोहनपुर ले जाकर उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया. उनके शरीर पर पाए जाने वाले बड़े बड़े धब्बे यह साबित कर रहे और फिर जब उनकी मौत हो गई तो उन्हें गोली मारी गई.

मरांडी ने कहा कि यदि राज्य सरकार बताना चाहती है कि पुलिस दोषी नहीं है तो सीबीआई जांच कराने की अनुशंसा कर देनी चाहिए.

आदिवासी रैयतों की जमीन लूटने पर आमदा है हेमंत सरकार 

नगड़ी भूमि विवाद पर बोलते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 1955..56 में तत्कालीन बिहार सरकार ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय केलिए भूमि अधिग्रहण किया था, लेकिन किसानों रैयतों के जोरदार विरोध के कारण स्वयं मुख्यमंत्री ने नगड़ी आकर किसानों से जमीन नहीं लेने का वचन दिया और फिर किसानों रैयतों के नाम रसीद भी काटे जाते रहे. 2012 तक किसान लगातार मालगुजारी देते रहे. लेकिन 2012 में झारखंड सरकार ने आईआईएम ,आईआईटी आदि के नाम पर फिर से उस जमीन का अधिग्रहण किया, जिसका फिर विरोध हुआ. जमीन से रैयत अलग नहीं हुए,लेकिन रसीद काटना बंद हो गया.

 मरांडी ने कहा कि आज जिस तरह से हेमंत सरकार रिम्स 2 के नाम पर नगड़ी के रैयतों से जमीन लुटने पर अड़ी हुई है. लेकिन रैयत भी संघर्ष में पीछे नहीं. आज तथाकथित अबुआ सरकार आदिवासी की हत्या भी हो रही उनकी जमीन भी छीनी जा रही. अबुआ सरकार  ने आदिवासी समाज सर्वाधिक लुटा पीटा जा रहा है.

 

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रोहिंग्या,बांग्लादेशी को बसाती है,झारखंडियों को उजाड़ती है सरकार

 बाबूलाल मरांडी ने आज शाम बिरसा चौक के निकट हरमू बाईपास रोड पर अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर बेघर हुए लोगों से मुलाकात की और हाल जाना. मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार राज्य में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को बसाने में तो कोई कसर नहीं छोड़ती लेकिन 50 वर्षों से अधिक समय से किसी प्रकार अपनी झोपडी,घर बनाकर रहने वाले गरीबों को उजाड़ने में तनिक देर नहीं करती.

उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार अगर उजड़े लोगों की चिंता दूर नहीं करती तो वे प्रभावित लोगों,परिवारों के साथ मुख्यमंत्री आवास जाएंगे. सभी प्रभावित गरीब परिवार मुख्यमंत्री आवास में घुसकर वहीं रहने को विवश होंगे.

 

 

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