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कोल्हान में कोहराम : कुड़मी समाज के आरक्षण पर गुस्से में आदिवासी समाज, 23 तक एमपी-एमएलए को राय देने का अल्टीमेटम

सित. 18

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संवाददाता

चाईबासा ( CHAIBASA) :  कोल्हान आदिवासी एकता मंच के बैनर तले आदिवासी समाज ने आदिवासी मंत्री, सांसद और विधायक को 23 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया. कोल्हान आदिवासी एकता मंच के अध्यक्ष सह बिहार सरकार में डिप्टी स्पीकर रहे देवेन्द्र चांपिया ने कहा कि आदिवासियों के अस्तित्व, अस्मिता एवं पहचान बचाने अथवा कुड़मी-महतो का आदिवासी बनने की मांग पर मंत्री, सांसद और विधायक को अपना पक्ष लिखित एवं सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करने का अल्टीमेटम ज्ञापन सौंपा गया. कोल्हान आदिवासी एकता मंच के माध्यम से झारखण्ड के सभी आदिवासी संगठन कुड़मी-महतो समुदाय की मांग का स्पष्ट विरोध करती हैं. 

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खतरे में आदिवासियों का अस्तित्व और अस्मिता

झारखंड सहित कोल्हान क्षेत्र के आदिवासियों के अस्तित्व, अस्मिता, पहचान, संस्कृति, भाषा एवं संवैधानिक अधिकारों पर प्रत्यक्ष खतरा मंडरा रहा है. कुड़मी-महतो समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने की मांग से आदिवासी समाज के अधिकारों, मूल पहचान और आरक्षण व्यवस्था पर गंभीर आघात होगा. इस दौरान माननियों से आदिवासियों की आंदोलन और कुडमी महतो की मांग पर विस्तार से समाज के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा किया गया. साथ ही यह भी चर्चा किया गया कि आने वाले समय में इसका क्या परिणाम किसके साथ होगा. 

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कोल्हान के सांसद-विधायकों को अल्टीमेटम

मंत्री, सांसद और विधायक को दिए गए अल्टीमेटम ज्ञापन ने स्पष्ट कहा गया कि कुड़मी-महतो कभी भी भारत की स्वतंत्रता से पूर्व या बाद में आदिवासी सूची में नहीं रहे हैं. अतः संविधान एवं ऐतिहासिक आधारों पर उनकी एसटी सूची में शामिल करने की कोई विधि-सम्मत व युक्तिसंगत मांग नहीं बनती है. यदि कुड़मी महतो को एसटी सूची में शामिल किया गया तो इससे मूल आदिवासी समाज का अस्तित्व, अस्मिता, धर्म-संस्कृति, हाषा-भाषा तथा आरक्षण पर आघात पहुंचेगा और मूल अधिकारों का हनन होगा. 

23 के बाद जनप्रतिनिधियों के आवास का घेराव, चुप्पी तोडो-गद्दी छोडो जैसे आंदोलन

श्री चंपिया ने कहा कि जनता एवं समाज का समग्र मत है कि 23 सितंबर तक सभी जनप्रतिनिधि अपनी राय/मन्तव्य सर्वजनिक रूप से स्पष्ट करनी होगी अन्यथा आदिवासी समाज द्वारा जनप्रतिनिधियों के आवास का घेराव, चुप्पी तोडो-गद्दी छोडो जैसे आंदोलन करेगी. जरूरत पडी तो नेपाल की तर्ज पर कार्रवाई हेतु समाज बाध्य होगा. वहीं, राज्य/केंद्र सरकार कुडमी-महतो मांग के पक्ष में कार्रवाई करती है या कुडमी महतो को आदिवासी बनाने की मार्ग प्रस्तत होती है तो इसका सारा जबाबदेही/दोषी वर्तमान सांसद/विधायक होगें. यदि राज्य/केंद्र सरकार इस मांग के पक्ष में कोई कार्रवाई करती है, तो आदिवासी समाज व्यापक विरोध आंदोलन 72 घंटे की आर्थिक नाकेबंदी सहित चरणबद्ध अंदोलन भी करेगा.

ज्ञापन सौंपने के दौरान मंच के अध्यक्ष देवेन्द्र नाथ चंपिया,मानकी मुंडा संघ के अध्यक्ष गणेश पाट पिंगुवा, मंच के सचिव रवि बिरूली,विर सिंह बिरूली,कोषाध्यक्ष रमाय पुरती,संचु तिर्की,अशोक कुमार नाग,मदन बोदरा,रेयांश सामड,राहुल पुरर्ती,पंकज बंकिरा,रविन्द्र गिलुवा,सुमित सिंह मुंडा,आकाश हेंब्रम सहित काफी संख्या में विभिन्न आदिवासी समाज के लोग शामिल थे.

 

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