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सारंडा सेंचुरी पर सरकार ने मांगी राय,आदिवासी बोलें-पारंपरिक अधिकारों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं

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सारंडा ( SARANDA) : प0 सिंहभूम जिला के सारंडा जंगल को वन्य प्राणी अभ्यारण घोषित करने के प्रस्ताव पर झारखंड सरकार ने ग्रामीणों की राय लेना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में मंगलवार को छोटानागरा के मचानगुटू मैदान में एक विशाल आमसभा आयोजित की गई, जिसमें मंत्रियों, सांसद-विधायकों और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हजारों ग्रामीण जुटे.

 सभा की अध्यक्षता मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने की, जबकि मंत्री दीपक बिरुआ, चमरा लिंडा, संजय प्रसाद यादव, दीपिका पांडे सिंह, सांसद जोबा माझी, विधायक सोनाराम सिंकू सहित कई जनप्रतिनिधि मंच पर उपस्थित थे. डीएफओ अभिरूप सिन्हा ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि उनकी राय ही अंतिम रिपोर्ट का आधार बनेगी और किसी भी योजना को जबरन लागू नहीं किया जाएगा.

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 पारंपरिक अधिकारों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं

सभा में ग्रामीणों ने साफ कहा कि खेती की जमीन, पूजा-स्थल और पारंपरिक अधिकारों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होगी. खनन से जंगल और नदी-नाले नष्ट होने पर नाराजगी जताई गई और स्थानीयों को सौ फीसदी रोजगार देने की मांग उठी. ग्रामीणों ने सवाल किया कि अगर सेंचुरी बनी तो क्या गांवों का विस्थापन होगा और पुनर्वास की क्या योजना है. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, पोंगा नदी पर पुल का अभाव और डीएमएफटी फंड के गलत उपयोग जैसे मुद्दे भी जोर-शोर से उठे.

पक्ष और विपक्ष दोनों आवाजें

 कुछ ग्रामीणों ने कहा कि सेंचुरी बनने से जैव विविधता बचेगी, वन्य प्राणियों का संरक्षण होगा और ईको-टूरिज्म से रोजगार बढ़ेगा. वहीं विरोध करने वालों का कहना था कि खेती, मवेशी चराई और वनोपज पर रोक लग सकती है, जिससे उनका अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा.

सरकार का आश्वासन

 मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करेगी. आपकी भावनाओं के खिलाफ कोई निर्णय नहीं होगा.समाधान शांतिपूर्ण और संवाद के जरिए ही निकलेगा.

अब समिति ग्रामीणों की राय संकलित कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर यह तय होगा कि सारंडा को वन्य प्राणी अभ्यारण घोषित किया जाएगा या नहीं.

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