
स्वास्थ्य विभाग की कार्य-संस्कृति पर विधायक का सवाल,जानकारी मांगने पर जवाब नहीं देती विभाग
नव. 3
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न्यूज डेस्क
जमशेदपुर ( JAMSHEDPUR) : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने जानना चाहा है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में ऐसा क्या चल रहा है कि विधानसभा के वरीय सदस्य होने के नाते भी उन्हें मांगी गई जानकारी नहीं दी जा रही है? आखिर ऐसा क्या है कि स्वास्थ्य विभाग उनसे जानकारी छुपाना चाह रही है? इससे तो झारखण्ड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की कार्य-संस्कृति पर भी सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। सरयू राय ने दवाओं की खरीद के बारे में पारदर्शिता बरतने तथा सभी प्रकार की दवाओं की खरीद निविदा के माध्यम से करने की मांग की है.
इस संबंध में सरयू राय ने स्वास्थ्य, चिकित् सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने भारत सरकार के दवा निर्माता लोक उपक्रमों से ऊँची दरों पर दवा खरीद करने के संबंध में सविस्तार लिखा है.
सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने पंचम झारखण्ड विधानसभा में एक अल्पसूचित प्रश्न पूछा था, जिसका उत्तर 17 मार्च, 2023 को विभाग द्वारा सदन पटल पर रखा गया. उनके प्रश्न के कंडिका-4 के उत्तर में सरकार ने बताया कि जेएमएचआईडीपीसीएल द्वारा दवाओं का क्रय भारत सरकार के फार्मा उपक्रमों से किये जाने तथा विभागीय संकल्प संख्या- 102(6), दिनांक 09.02.2021 की पृष्ठभूमि तथा प्रासंगिक समस्त विषयों की पूर्ण समीक्षा कर मंतव्य सहित प्रतिवेदन एक माह के अन्दर उपलब्ध कराने हेतु विभागीय पत्रांक- 82(21) दिनांक 16.03.2021 द्वारा एक त्रिसदस्यीय समिति का गठन किया गया है. उक्त प्रतिवेदन के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी. तद्नुसार सरकार की तरफ से एक विभागीय समिति गठित की गई. समिति की बैठक में भाग लेने के लिए श्री राय को भी दिनांक 31.05.2023 को आमंत्रित किया गया परंतु समिति के अध्यक्ष का स्थानांतरण हो जाने के कारण जांच प्रतिवेदन तैयार नहीं हो सका. पश्चात दोबारा इस त्रिसदस्यीय जाँच समिति का पुनर्गठन किया गया. पुनर्गठन के प्रासंगिक आदेश में अंकित था कि ‘समिति इस बारे में श्री राय से भी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेगी’ परन्तु ऐसा नहीं हुआ. जांच समिति ने श्री राय से कभी सम्पर्क ही नहीं किया।
श्री राय ने पत्र में लिखा है कि देश के अन्य राज्यों में भारत सरकार के लोक उपक्रमों से सीधे दवा खरीदने की बजाय निविदा के माध्यम से दवा की खरीद होती है और भारत सरकार की दवा कंपनियाँ भी निविदा में भाग लेकर अपनी दवाओं का प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य तय करती हैं. लेकिन झारखण्ड सरकार ने उन कंपनियों से सीधे पहले भी ऊंची कीमतों पर दवाएँ खरीद चुकी हैं और उसी तरह दोबारा भी ऊंची कीमतों पर दवाएँ खरीद करने का निर्देश जारी कर दिया है.
उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि यह सर्वविदित है कि दवा कंपनियों को दवाओं के उत्पादन में जितनी लागत आती है, उससे करीब 10 गुना अधिक कीमत पर ये दवाएँ उपभोक्ताओं के लिए बाजार में उपलब्ध करायी जाती हैं. दवा निर्माता कंपनिय ों द्वारा उपभोक्ताओं को जिस कीमत पर दवाएँ बेची जाती हैं, उसमें उत्पादन लागत एवं वितरण व्यवस्था में लाभ एवं कमीशन का अंश काफी अधिक रहता है, पर इसका लाभ उपभोक्ता को नहीं बल्कि बिचौलियों को मिलता है. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि स्वास्थ्य विभाग ने यह प्रयास नहीं किया कि भारत सरकार की दवा निर्माता कंपनियों से वार्ता कर के उनकी दवाओं की कीमतें कम कराई जाएं.
सरयू राय ने पत्र में जानना चाहा कि उक्त विषय में विभाग द्वारा गठित जांच समिति का प्रतिवेदन उन्हें उपलब्ध नहीं करा कर स्वास्थ्य विभाग कौन सी जानकारी उनसे छुपाना चाह रहा है. इससे तो झारखण्ड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की कार्य-संस्कृति पर भी सवालिया निशान खड़ा होता है. स्वास्थ्य विभाग एक विधायक के प्रश्न पर विधानसभा में दिये गये आश्वासन की भी अवहेलना कर रहा है. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया कि दवाओं की खरीद के बारे में पारदर्शिता बरतने तथा सभी प्रकार की दवाओं की खरीद निविदा के माध्यम से करने का निर्देश विभाग को दें और साथ ही श्री राय को प्रासंगिक जांच समिति का जांच प्रतिवेदन तथा इस संबंध में भारत सरकार के औषधि विभाग का मंतव्य उपलब्ध कराने का निर्देश दें.











