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खनन व ट्रांसपोर्ट कंपनियों से लूटपाट करने वाले झारखंड के 6 व उड़ीसा के 2 लूटेरे राउरकेला में गिरफ्तार

नव. 24

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न्यूज डेस्क

चक्रधरपुर ( CHAKRADHARPUR ) : झारखंड–ओडिशा सीमा के खनन बहुल इलाकों में लगातार डकैती व लूट की घटनाओं से आतंक फैलाने वाले कुख्यात चांदे उर्फ चांदा नायक गिरोह पर आखिरकार ओडिशा पुलिस ने बड़ी कार्रवाई कर दी. वह काम जिसे झारखंड पुलिस नहीं कर सकी, उसे ओडिशा पुलिस ने बेहतरीन रणनीति, मजबूत इंटेलिजेंस और साहसिक ऑपरेशन के जरिये अंजाम देकर आठ डकैतों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया. यह पूरा गिरोह मुख्य रूप से झारखंड के पश्चिम सिंहभूम, खूंटी और गुमला जिलों का रहने वालें हैं, जो दोनों राज्यों के सीमावर्ती ट्रांसपोर्ट ऑफिसों और खनन क्षेत्रों में लगातार डकैती कर पुलिस-प्रशासन की नाक में दम किए हुए था.

 

सूचना मिलने पर राउरकेला एसपी नितेश वाधवानी के नेतृत्व में ओडिशा पुलिस ने कई दिनों तक गिरोह की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी और 22–23 नवंबर की रात एक योजनाबद्ध कार्रवाई में इन्हें घेरने की तैयारी कर ली. रात 11 बजे गिरोह की सक्रियता की विश्वसनीय सूचना मिलते ही एसपी ने एसडीपीओ और सभी थानों को अलर्ट कर दिया. 23 नवंबर की भोर तडके करीब 4 बजे संदिग्ध स्कॉर्पियो और दो बाइकें पुलिस नाका देखकर वापस लौटीं, जिसके बाद केबोलांग और कोइडा थाना की पुलिस ने पीछा किया. लामसी के पास पहली मुठभेड़ में झारखण्ड के गुमला का रहनेवाला पारस राम उर्फ लम्बू बसिया पैर में गोली लगने से घायल हुआ. जबकि कुचेइता गांव के पास चंदिपोश और गुरूंडिया पुलिस से बदमाशों की दूसरी मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में गिरोह का मुख्य सरगना झारखण्ड के खूंटी का रहनेवाला चांदे उर्फ चांदा नायक और ओडिशा के केबोलांग निवासी राजेश सिंह भी गोली लगने से घायल हो गए.

 

मुठभेड़ के दौरान ओडिशा पुलिस ने मौके से और पांच डकैतों को दबोच लिया, जिनमें झारखण्ड के खूंटी निवासी जेम्स उर्फ अनेथिन टोपनो, सुएल पूर्ति, एतुआ नाइक, पश्चिम सिंहभूम निवासी सुराझुनी पुरती और ओडिशा केबोलांग निवासी सानिया केरकेट्टा शामिल हैं. मौके से एक स्कॉर्पियो, दो मोटरसाइकिल, दो देसी पिस्तौल, एक रिवॉल्वर, आठ जिंदा कारतूस और 76150 रुपये नकद बरामद किए गए. एसपी नितेश वाधवानी ने इस कार्रवाई को बड़ी उपलब्धि बताते हुए टीम की पीठ थपथपाई और कहा कि पूरी कार्रवाई आत्मरक्षा एवं कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई.

 

इस ऑपरेशन ने साफ दिखा दिया कि अपराध नियंत्रण में ओडिशा पुलिस की योजना, समन्वय और साहस झारखंड पुलिस से कहीं बेहतर है. जहां झारखंड पुलिस इस गिरोह को पकड़ने में नाकाम रही, वहीं ओडिशा पुलिस ने सूझबूझ और साहस के तेज कार्रवाई से पूरे गिरोह का भंडाफोड़ कर दिया. यह घटना झारखंड पुलिस के लिए स्पष्ट संदेश है कि अपराध और अपराधियों पर लगाम कसने के लिए किस तरह रणनीतिक और प्रभावी कार्रवाई की जरूरत होती है.

 

 

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