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बाबूलाल का बड़ा आरोप : शराब घोटाला में100 करोड़ की अवैध वसूली, आरोपियों को बचाने के लिए एसीबी ने चार्जशीट नहीं की दाखिल

सित. 25

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न्यूज डेस्क

रांची ( RANCHI) : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर राज्य में शराब घोटाले को लेकर राज्य सरकार और एसीबी पर निशाना साधते हुए सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. भाजपा नेता ने कहा है कि यह घोटाला कितना बड़ा और सुनियोजित था, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगता है कि इसमें निलंबित आईएएस अधिकारी, राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन के शीर्ष पदाधिकारी और छत्तीसगढ़ से जुड़े शराब माफिया शामिल हैं. मीडिया में चल रही खबरों और विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में लगभग सौ करोड़ रुपये से अधिक की अवैध वसूली की गई है. इस पूरे प्रकरण में मुख्य रूप से निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे, जेएसबीसीएल के तत्कालीन महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास, अमित प्रकाश, छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और नकली होलोग्राम सप्लाई करने वाले विधू गुप्ता जैसे कई बड़े नाम सामने आए हैं. बाबूलाल ने सीएम हेमंत सोरेन का ध्यान आकृष्ट करते कहा है कि राज्य के बहुचर्चित शराब घोटाले की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ, जिसमें न केवल सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपये का चूना लगाया है, बल्कि यह भी उजागर किया है कि किस तरह एक संगठित गिरोह द्वारा पूरे तंत्र को अपनी उंगलियों पर नचाया जा रहा है.

 एसीबी ने जानबूझ कर मामले को कमजोर किया

बाबूलाल मरांडी ने एसीबी पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा है कि सबसे चिंताजनक और संदेहास्पद बात यह है कि इस मामले की जाँच कर रही एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने जानबूझकर मामले को कमजोर करने का काम किया है. यह अविश्वसनीय है कि घोटाले के लगभग सभी मुख्य आरोपी - जिनमें निलंबित IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे, पूर्व IAS अधिकारी अमित प्रकाश, JSBCL के पदाधिकारी सुधीर कुमार दास व सुधीर कुमार, मार्शन कंपनी के कर्मचारी नीरज कुमार, छत्तीसगढ़ के कारोबारी मुकेश मनचंदा, अतुल सिंह व सिद्धार्थ सिंघानिया, विधू गुप्ता और प्रभाकर सोलंकी शामिल हैं, को केवल इसलिए जमानत मिल गई क्योंकि ACB निर्धारित 90 दिनों की समय-सीमा के भीतर अदालत में चार्जशीट दाखिल करने में विफल रही. यह कोई सामान्य चूक नहीं, बल्कि आरोपियों को बचाने की एक सोची-समझी साजिश प्रतीत होती है. जब जाँच एजेंसी ही तय समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं करेगी, तो न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है ?

इस मामले में संदेह को और भी बल तब मिला जब हाल ही में ACB के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव किया गया और बाद में उसी दिन एसीबी से पाँच लोगों के तबादले भी कर दिए गए. मेरा सीधा प्रश्न है -

 

1. जिन पाँच या उससे अधिक लोगों का तबादला ACB से किया गया, वे इस शराब घोटाले में क्या भूमिका निभा रहे थे और किसके लिए काम कर रहे थे ?

2. उन्हें किसके इशारे पर एसीबी में पदास्थापित किया गया था और फिर किसके कहने पर क्यों हटाया गया ?

3. वर्तमान में वे लोग कहाँ-कहाँ पदस्थापित किये गये हैं और किसके लिये कहाँ काम कर रहे हैं ?

 यह रहस्यमय फेरबदल इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकार घोटाले की तह तक जाने के बजाय इसमें शामिल अपने करीबी और भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रही है.

 शराब घोटाले की सीबीआई जांच की मांग

भाजपा अध्यक्ष ने सीएम हेमंत सोरेन से मांग करते हुए कहा कि पूरे शराब घोटाले और इसमें हुए राजस्व नुकसान की निष्पक्ष जाँच के लिए यह मामला CBI सौंपा जाए. ACB के उन अधिकारियों की भूमिका की जाँच की जाए, जिन्होंने समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं की, ताकि यह पता चल सके कि यह लापरवाही थी या किसी के दबाव में किया गया षड्यंत्र.

ACB में हुए हालिया तबादलों के पीछे के कारणों एवं इनके पिछले कार्यकलाप, इनके आका के साथ ही इनके द्वारा अर्जित नामी बेनामी संपत्तियों की भी जाँच हो. यह राज्य की प्रतिष्ठा और वित्तीय स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर विषय है. यदि आपने इस पर तत्काल और ठोस कार्रवाई नहीं की, तो यह माना जाएगा कि इस महाघोटाले को आपका सीधा संरक्षण प्राप्त है.

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