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BIG BREAKING : सारंडा में नक्सलियों का आईईडी ब्लास्ट, एक की मौत,तीन ग्रामीण महिला घायल,इलाके में दहशत

नव. 28

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न्यूज डेस्क

चक्रधरपुर ( CHAKRADHARPUR) : पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी विस्फोट में तीन ग्रामीण महिलाएं घायल हो गईं, जिनमें से दो की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है. वहीं एक महिला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। यह घटना जरायकेला थाना क्षेत्र के कोलबोंगा इलाके में शुक्रवार को हुई है.

 घटना के संबंध में जानकारी मिली है कि तीनों महिलाएं रोज की तरह पत्ता और सूखी लकड़ी चुनने के लिए शुक्रवार दोपहर दो बजे जंगल की ओर गई थीं. इसी दौरान कच्ची सड़क पर नक्सलियों द्वारा प्लांट किए गए आईईडी बम में जोरदार धमाका हो गया. विस्फोट की चपेट में आने से तीनों महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं. घायल में से फूलो धनवार नामक महिला की मौत हो गयी है. जबकि सलामी कन्डुलना और बरसी धनवार की हालत नाजुक बताई जा रही है.  

 एसपी ने की पुष्टि, घायलों के लिए तत्काल चिकित्सा निर्देश

 पश्चिम सिंहभूम के पुलिस अधीक्षक अमित रेनू ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि जंगल से विस्फोट की सूचना प्राप्त होते ही तुरंत प्रशासनिक और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई। उन्होंने संबंधित सीडीपीओ को घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. साथ ही, इलाके में नक्सल विरोधी अभियान को तेज करते हुए बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है.

 इलाके में दोबारा नक्सली खौफ, सुरक्षा बलों की चुनौती बढ़ी

 गौरतलब है कि जिस क्षेत्र में यह विस्फोट हुआ, वहीं कुछ दिनों पहले नक्सलियों ने सड़क अवरुद्ध करने के लिए पेड़ गिराकर क्षेत्र में दहशत फैलाने की कोशिश की थी. सारंडा के कई इलाकों में माओवादी गतिविधियां लगातार बनी हुई हैं, और नक्सली अपनी मौजूदगी जताने के लिए समय-समय पर आईईडी ब्लास्ट और अन्य विध्वंसकारी घटनाएं अंजाम दे रहे हैं.

 जहाँ छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की लगातार सफल कार्रवाई से नक्सलवाद कमजोर पड़ रहा है, वहीँ झारखण्ड के सारंडा में माओवादी अभी भी सक्रिय हैं. सुरक्षा बलों के मुताबिक इलाके में कई बड़े इनामी माओवादी नेता अभी भी छिपे हुए हैं और उन्हें पकड़ने के लिए अभियान जारी है.

 नक्सलियों द्वारा जगह-जगह आईईडी प्लांट किए जाने से आम ग्रामीण, यहां तक कि जानवर भी इनकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं. इससे क्षेत्र में लगातार दहशत का वातावरण बना हुआ है और स्थानीय लोग हमेशा जानमाल के खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं.

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