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पारा शिक्षकों के साथ बड़ा अन्याय, जिम्मेवार कौन ?  शिक्षक भर्ती गड़बड़ी मामले में हाईकोर्ट सख्त, पढ़िए पूरी खबर

4 दिन पहले

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रांची डेस्क

 

रांची ( RANCHI) : झारखंड हाईकोर्ट ने 2016 की शिक्षक भर्ती में गड़बड़ियों को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए फैक्ट-फाइंडिंग कमीशन गठित किया है और जेएसएससी व सरकार की लापरवाही पर सख्त टिप्पणी की है. इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए झारखंड प्रदेश जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि प्राथमिक शिक्षकों के लिए आरक्षित 3704 सीटें सरेंडर कर दी गई हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

 योग्य पारा शिक्षकों को मिलें प्राथमिकता

जद यू नेता ने मांग की कि इन सरेंडर की गई सीटों पर 2016 की भर्ती परीक्षा में शामिल योग्य पारा शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाए. तिवारी ने कहा कि झारखंड के हजारों पारा शिक्षक पिछले कई वर्षों से प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में निष्ठा से पढ़ा रहे हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में उनकी लगातार अनदेखी हुई है.

श्री तिवारी ने सवाल उठाया कि जब प्राथमिक शिक्षकों के लिए 25 प्रतिशत सीटें सुरक्षित रखकर सरकारी शिक्षकों को अवसर दिया जा सकता है, तो पारा शिक्षकों को क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि जो अभ्यर्थी 2016 की नियुक्ति परीक्षा में क्वालीफाई हैं और पारा शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, वे अपनी योग्यता साबित कर चुके हैं. ऐसे में सरेंडर की गई सीटों को इन्हीं पारा शिक्षकों से भरना न्यायसंगत कदम होगा.

 सरकार और विभागीय पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप

उन्होंने सरकार और विभागीय पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पारा शिक्षकों के साथ इतना बड़ा अन्याय आखिर क्यों हुआ? इसकी जवाबदेही कौन लेगा? साथ ही श्री तिवारी ने पारा शिक्षक संघ को भी आड़े हाथों लिया और पूछा कि संघ ने यह मुद्दा समय रहते सरकार तक क्यों नहीं पहुंचाया और आखिरकार चुप्पी क्यों साधी रही. वरिष्ठ नेता ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पारा शिक्षकों का योगदान किसी से छिपा नहीं है, ऐसे में अब न्याय यही होगा कि रिक्तियों को इन्हीं से भरा जाए.

 कोर्ट के प्रति जताया आभार

श्री तिवारी ने इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस दीपक रोशन के प्रति आभार व्यक्त किया और उनकी अनूठी पहल की सराहना की. साथ ही फैक्ट-फाइंडिंग कमीशन के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. एस.एन. पाठक से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और सुनिश्चित हो कि योग्य पारा शिक्षकों को अवसर मिले.

 

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