
“चंद्रगुप्त” की तलाश में “चाणक्य”, चिराग को सीएम बनाने के लिए बिहार में जोरदार बैटिंग, चर्चा या हकीकत, जानिए खबर में
सित. 27
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उपेंद्र गुप्ता
रांची ( RANCHI) : बिहार एनडीए ने काफी पहले साफ कर दिया है कि 2025 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा.अगला सीएम भी नीतीश ही होंगे. यह बात सार्वजनिक मंचों से भाजपा,जदयू,लोजपा,हम एनडीए के सभी घटक दल के छोटे-बड़े नेता भी बोल रहे हैं. मीडिया और खुले मंच से एनडीए के कई नेता यह भी कह रहे हैं कि बिहार में सीएम की वैकेंसी नहीं है. क्या यह पूरा सत्य है ? एक सत्य तो यह भी है कि बिहार में अंदरखाने राजनीतिक खिचड़ी कुछ ऐसी पक रही है कि एनडी ए के अंदर-बाहर के कुछ नेता चिराग पासवान को नीतीश का उत्तराधिकारी बनाने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करने में जुटे हैं.

नीतीश के बाद सबकी पहली पसंद चिराग
नीतीश कुमार के रहते बिहार में सीएम के लिए किसी के नाम आगे करना किसी बड़े जोखिम से कम नहीं है, इसलिए एनडीए का कोई नेता किसी दूसरे नेता का नाम नहीं ले रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को देखते हुए चिराग हर किसी पहली पसंद है. यह भी सच है. मौजूदा दौर में बिहार एनडीए में चिराग पासवान ही एकलौते नेता है, जिनकी छवि पूरी तरह ना सिर्फ बेदाग है, बल्कि सर्वाधिक लोकप्रिय नेता माने जाते हैं. उनका दलित होना उनके दावे को और भी मजबूत बनाता है. चिराग पहले की अपेक्षा आज काफी परिपक्व हो चुके हैं, पहले वे नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर हमले भी करते थे, लेकिन अब वे पूरी तरह नीतीश के साथ अच्छे संबंध बना चुके हैं वहीं उनका एक बड़ा मजबूत पक्ष यह है कि वे खुद को पीएम मोदी का हनुमान कहते हैं और पीएम मोदी के काफी चहेते भी है. इसलिए वे फिलहाल सबके पहली पसंद माने जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव के बाद एनडीए बहुमत में आती है तब नीतीश कुमार की अस्वस्थता को देखते हुए चिराग के नाम को “दलित सीएम” चेहरा के रूप में आगे कर दिया जाए. तब शायद ही कोई विरोध करने की स्थिति में होगा.

नीतीश कुमार बेदाग, पर उनके कई मंत्री भ्रष्ट
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अस्वस्थता को देखते हुए हर कोई असमंजस में है कि वे अगले सीएम होंगे ही. इसलिए एनडीए में सीएम बनने के लिए भाजपा-जदयू के कई नेता भी रेस में हैं. जिनमें भाजपा के सबसे बड़े दावेदारों में सम्राट चौघरी का नाम है, उनके आलावा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल, मंगल पांडेय,विजय सिंहा,नंदकिशोर यादव के नाम की चर्चा है. वहीं नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाने वाले मंत्री अशोक चौधरी भी है. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, नीतीश के कई मंत्री सम्राट चौधरी, अशोक चौधरी,मंगल पांडे, संजय जायसवाल और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर भ्रष्टाचार के नए-नए आरोप लगने शुरू हो चुके हैं. ताकि उनका रास्ता रोका जा सकें और चिराग के लिए रास्ता आसान बनाया जा सकें.

चिराग से प्रशांत किशोर का प्रेम
आज बिहार का हर कोई प्रशांत किशोर ( पीके) के नाम से परिचित है. अब पीके सिर्फ रणनीतिकार नहीं रह गए हैं, बल्कि बिहार राजनीति के चाणक्य भी कहे जा रहे हैं. पीके अपनी पार्टी जनसुराज बना कर चुनाव लड़ने की तैयारी में किसी राजनीतिक दल से पीछे नहीं है. वे भाजपा-जदयू,राजद,कांग्रेस सब पर निशाना साध रहे हैं उनकी बातों को बिहार के लोग इतनी गंभीरता से ले रहे हैं कि उनकी सभा में भारी भीड़ उमड़ रही है, उन्हें अब काफी मजबूत और बड़ा जनाधार वाला नेता माना जा रहा है. इसके बावजूद उन्हें अब भी बिहार में चंद्रगुप्त की तलाश है. पीके का चिराग से प्रेम किसी भी बिहार वासी से छुपा नहीं है, पीके हर मंच से चिराग की तारीफ भी करते हैं. एनडीए हो या इंडी दोनों गठबंधन के नेताओं से पीके चिराग को हर दृष्टिकोण से श्रेष्ठ मानते हैं. कई बार तो पीके मीडिया और सार्वजनिक मंचों से चिराग को एनडीए में सीएम का सबसे बेहतर विकल्प बता चुके हैं. चिराग का रास्ता आसान करने के लिए ही पीके कुछ दिनों से नीतीश सरकार के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप भी लगा रहे हैं. पीके सिर्फ आरोप ही नहीं लगा हैं बल्कि उनके काले चिट्टे को सबके सामने रख कर चुनौती भी दे रहे हैं. इसका असर यह हुआ है कि एनडीए के कई नेता दो खेमों बंट चुके हैं और भ्रष्ट मंत्रियों से जवाब मांग रहे हैं. यहां तक कि मंत्रियों के आरोपों पर एनडीए के बड़े नेता और खुद नीतीश कुमार भी मौन साधे हैं. आखिर क्यों ?











