
नवरात्र की तिथि को लेकर भ्रम, चुतुर्थी दो दिन, आज षष्ठी की पूजा
सित. 27
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रांची ( RANCHI) : शारदीय नवरात्रि में छठवां दिन देवी दुर्गा के दिव्य स्वरूप यानि मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है. ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार देवी कात्यायनी सुनहरे रंग की आभा लिए हुए हैं, जिनके दिव्य दर्शन मात्र से साधक को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि में मां कात्यायनी की विधि-विधान से पूजा, जप-तप और व्रत करता है तो देवी उस पर प्रसन्न होकर उसे रोग, शोक और भय से मुक्ति दिलाती हैं. भगवती दुर्ग ा का छठा स्वरूप मां कात्यायनी दिव्य आभा लिए हुए हैं. वे सोने के समान तेज लिए हैं. चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी का एक हाथ वर मुद्रा तो दूसरा अभय मुद्रा में रहता है. वहीं एक हाथ में उन्होंने तलवार तो दूसरे हाथ में उन्होंने कमल का फूल ले रखा है. देवी दुर्गा के समान मां कात्यायनी भी सिंह की सवारी करती हैं.
देवी को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है. मां कात्यायनी की धूप-दीप, फल-फूल, रोली-अक्षत, पीली मिठाई आदि से पूजा करने के बाद देवी के मंत्र 'ॐ देवी कात्यायन्यै नमः', श्लोक आदि का उच्चारण करें. नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी के मंत्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए. माता दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी को शहद अति प्रिय है. नवरात्र ि के छठे दिन माता को शहद का भोग जरूर लगाएं. शहद के भोग से आकर्षण शक्ति की प्राप्ति होती है. पूजा में हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा सभी संकटों से उबार कर हर कामना को पूरा करने वाली मानी गई है. मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति के विवाह में बाधा आ रही हो तो उसे नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा में विशेष रूप से खड़ी हल्दी और पीले पुष्प चढ़ाकर पूजा करना चाहिए. मां कात्यायनी की आराधना करने से शादी की बाधाएं दूर होती हैं. मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति शीघ्र होती है. वैवाहिक जीवन दुरुस्त होता है। गृहस्थ जीवन में शांति आती है।











