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सांसद महोदय... हमलोग16 साल से बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, ग्रामीणों की मार्मिक अपील पर सांसद ने क्या दिया जवाब, पढ़िए खबर में  

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अमरेंद्र झा

धनबाद ( DHANBAD) : लगभग  डेढ़ दशक से ठप पड़ी करोड़ों की बागड़ा पंचायत की जलापूर्ति योजना आखिर कब चालू होगी? इसी सवाल को लेकर सोमवार को बाघमारा प्रखंड की बागड़ा पंचायत की मुखिया सावित्री कुमारी दर्जनों ग्रामीणों के साथ गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के रजरप्पा स्थित आवासीय कार्यालय पहुंची. ग्रामीणों ने सांसद को मांगपत्र सौंपते हुए योजना को तत्काल पुनः चालू कराने की भावुक अपील की.

ग्रामीणों ने बताया कि यह योजना पूर्व पीएचईडी मंत्री सह विधायक जलेश्वर महतो के कार्यकाल में शुरू की गई थी. आशा के मुताबिक यह योजना गांव में पानी की क्रांति ला सकती थी, परंतु यह केवल 6 माह तक ही चल सकी.

बाढ़ में इंटकवेल क्षतिग्रस्त होने के बाद जलापूर्ति ठप हो गई और लगातार तीन चुनावी हार के बाद विधायक तो बदले, लेकिन 22 हजार लोगों की प्यास नहीं बुझी. ग्रामीणों का दर्द साफ था, हमारे नेताओं ने वादे तो किये पर पानी नहीं आया.”

प्यास बुझाने को दामोदर नदी ही सहारा

मुखिया सावित्री कुमारी ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि

“महिलाएं और बच्चे रोज कई किलोमीटर दूर दामोदर नदी से पानी ढोने को मजबूर हैं. यह स्थिति अत्यंत पीड़ादायक और असहनीय है.” उन्होंने बताया कि 05.11.2022 को कार्यपालक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग धनबाद को लिखित और मौखिक शिकायत की गई थी, किंतु विभागीय उदासीनता के कारण अब तक एक ईंट तक नहीं हिली.

 “अब उम्मीद सिर्फ सांसद पर” ग्रामीणों की सामूहिक फरियाद

 निराश ग्रामिणों ने कहा कि “अब सिर्फ सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी से ही उम्मीद बची है. उनकी पहल से ही यह मर चुकी योजना शायद दुबारा जीवित हो सके.”सांसद ने ग्रामीणों की बात सुनते हुए जलापूर्ति योजना को अविलंब दुरुस्त कराने का आश्वासन दिया. 

जोरिया पुल निर्माण पर भी सांसद गंभीर जल्द होगी अनुशंसा

ग्रामीणों ने बागड़ा–बारकी को जोड़ने वाले जोरिया पर पुल नहीं बनने से हो रही भारी परेशानियों का मुद्दा भी उठाया.सांसद चौधरी ने इसे गंभीर बताते हुए कहा कि वे उपायुक्त धनबाद के साथ आगामी बैठक में त्वरित अनुशंसा करेंगे ताकि लोगों को राहत मिल सके. उम्मीद की किरण—“अब शायद मिलेगा राहत का पानी

लगभग 16 वर्षों से प्यास से जूझ रहे बागड़ा पंचायत के लोग अब सांसद के आश्वासन से नया हौसला महसूस कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है. “यदि यह योजना पुनः चालू हो गई तो बागड़ा की किस्मत बदल जाएगी. घर-घर पानी पहुंचेगा और महिलाओं-बच्चों की रोज की तपस्या समाप्त होगी.” बागड़ा की जनता अब सिर्फ इंतजार में है—क्या सांसद की पहल इस मृत योजना में नई जान फूंक पाएगी?

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