
सावन में शिव को मनाना है तो माता की भी करें आराधना, कुंवारी कन्या को क्यों करना चाहिए मां का व्रत, जानिए इस खबर में .....
3 दिन पहले
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उपेंद्र गुप्ता
रांची ( RANCHI) । चार माह भगवान विष्णु के योगनिद्रा में चले जाने के बाद सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं. सावन महीने से ही भोलेनाथ सृष्टि संचालन शुरू करते हैं, इसलिए सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. इस दौरान भगवान शिव मां पार्वती के साथ पृथ्वी के भ्रमण पर होते हैं. इसलिए सावन का महीना बेहद पावन और पवित्र माना जाता है. भगवान शिव को प्रसन्न कर आशीर्वाद पाने के लिए शिवभक्त कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, हर सोमवार को लाखों शिवभक्त शिवालयों में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं, तो लाखों शिवभक्त नंगे पांव कांवर लेकर सैकड़ों किमी की दूरी तय कर बाबा को जल अर्पित करते हैं. लेकिन बाबा को जल्द प्रसन्न करना है तो सोमवार के साथ मां मंगला गौरी की भी पूजा करना जरूरी है. जानिए कैसे करें मां गौरी की पूजा.............
सावन का सोमवार महत्वपूर्ण
सावन महीने के हर सोमवार धार्मिक रूप से काफी पावन और पवित्र माना गया है. इसलिए शिवभक्त हर सोमवार को शिवालयों में भगवान भोलेनाथ का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करते हैं. इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं. माना जाता है कि सोमवार के दिन विधि विधान से सोमवार का अभिषेक करने और व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न होते हैं.
सावन का मंगलवार भी है पावन और पवित्र दिन
लेकिन बहुत कम शिवभक्त जानते हैं कि सावन माह के हर सोमवार की तरह हर मंगलवार भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. सोमवार भोले नाथ की प्रसन्नता के लिए किया जाता है तो मंगलवार को माता पार्वती की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस दिन मां मंगला गौरी की अराधना की जाती है. इस दिन व्रत रख कर माता की पूजा की जाती है. सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े पहन कर भगवान शिव की विधि विधान से अभिषेक करें, फिर माता पार्वती को लाल चुनरी और ऋंगार के सामान चढ़ाए. हरी चुड़ी और लाल बिंदी जरूर चढ़ाए. फिर भगवान भोले नाथ और माता पार्वती का गठबंधन करें. भगवान शिव को पीला चंदन और माता को सिंदूर लगाएं, फिर शिव-पार्वती को पुष्प अर्पित करें,धूप-दीप दिखाएं और फल-मिठाई का भोग लगाएं. उसके बाद दोनों का ध्यान कर मंत्र जाप करें.
कुंवारी कन्याओं के लिए बेहद खास है मां गौरी की अराधना
मंगला गौरी का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. माना जाता है कि श्रावण मास के दौरान मंगला गौरी की पूजा करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है और साथ ही अविवाहित कन्याओं के लिए भी यह व्रत विवाह की बाधाओं को दूर कर मनपसंद जीवनसाथी दिलाने में मददगार साबित होता है. इसके अलावा, यह व्रत संतान संबंधी समस्याओं के समाधान में भी लाभकारी माना जाता है.