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माओवादियों का प्रतिरोध दिवस 23 नवबंर को, हिडमा की मौत के बाद बौखलाहट में नक्सली, सुरक्षा बलों पर कौन सा लगाया आरोप

नव. 22

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न्यूज डेस्क

चाईबासा ( CHAIBASA) : लाल आतंक का सबसे खतरनाक कमांडर माने जाने वाला माडवी हिडमा के मौत पर भाकपा माओवादी संगठन काफी बौखलाहट में है.माओवादी माडवी हिडमा की मौत का बदला लेने की तैयारी में है. हिडमा की मौत के विरोध में पूरे देश में 23 नवंबर को प्रतिरोध दिवस मनाने की घोषणा की है. माओवादियों ने एक प्रेस रिलीज जारी कर सुरक्षा बलों पर हिडमा की हत्या करने का आरोप लगाया है.   

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माओवादियों का आरोप - इलाज कराने गया था हिडमा,तभी सुरक्षा बल ने घोखे से पकड़ा

माओवादियों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि मांडवी हिडमा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा माओवादी केंद्रीय कमेटी का सदस्य था, दंडकारणीय स्पेशल जोनल कमेटी सचिव के रूप में कामरेड माडवी हिडमा काम करता था. माओवादियों ने आरोप लगाया है कि 15 नवंबर को विजयवाड़ा में अपना इलाज कराने गया था, लेकिन माडवी हिडमा को धोखे से आंध्र प्रदेश के एसआईबी के द्वारा पकड़ लिया गया था. इसके बाद उसे पड़कर उसके अन्य साथियों के साथ उसकी निर्मम हत्या कर दी गयी थी.  

हत्या के बाद सुरक्षाबलों ने झूठी कहानी बनाते हुए इसे मुठभेड़ का रूप दे दिया. माओवादियों का साफ आरोप है कि मांडवी हिडमा की हत्या की गई है और इसको लेकर माओवादी संगठन के द्वारा 23 नवंबर को देशव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाने की घोषणा की गई है. माओवादियों के इस घोषणा के साथ ही देशभर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं. नक्सल प्रभावित इलाकों में मांडवी हिडमा के मारे जाने के बाद माओवादी संगठन बेहद गुस्से में नजर आ रहे हैं. माओवादी संगठन बड़ी घटना को अंजाम देकर उनके बड़े नक्सली नेता को मार गिराए जाने का बदला लेने की बड़ी तैयारी में है.

पुलिस का जवाब - छत्तीसगढ़ से आंध्र प्रदेश भागने के दौरान पुलिस ने घेरा हिडमा को  

जबकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि  यह गोलीबारी उस समय हुई जब सुरक्षा बलों ने माओवादियों के एक समूह को घेर लिया और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा. इसके बाद, नक्सलियों ने कथित तौर पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे सुरक्षाकर्मियों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. सुरक्षा बल कुछ माओवादियों की तलाश में अभियान जारी रखे हुए थे, जिनके जंगलों में गहरे भाग जाने का संदेह था. यह मुठभेड़ आंध्र प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के त्रि-जंक्शन बिंदु के पास हुई.

सारंडा में भी नक्सली हुए सक्रिय

हिडमा की मौत के बाद झारखंड के सारंडा के जंगलों में भी खौफ के बादल मंडराने लगे हैं. बता दें कि झारखंड के सारंडा जंगल में इन दिनों नक्सली सक्रिय हैं और लगातार हिंसक घटनाओं को अंजाम देकर सुरक्षाबलों को चुनौती देते रहे हैं ऐसे में मांडवी हिडमा के मौत का बदला लेने के लिए सारंडा में भी माओवादी संगठन बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं. बता दें कि सारंडा में मिसिर बेसरा जैसे खूंखार माओवादी नक्सली नेता अभी भी मौजूद हैं और पूरे माओवादी संगठन को ऑपरेट कर रहे हैं. ऐसे में सारंडा जंगल में अब माओवादी और सुरक्षाबलों के बीच बड़े संघर्ष की लड़ाई तेज होने की प्रबल आशंका जाहिर की जा रही है.

मां की अपील मान लेता तो आज जिंदा होता हिडमा

आंध्र प्रदेश-ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर अल्लूरी सीतारामाराजू जिले में 18 नवबंर को मंगलवार को सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर में हिडमा मार गिराया था. जो लाल आतंक के खिलाफ बड़ा प्रहार माना गया. नक्सली कमांडर माडवी हिडमा के साथ छह नक्सली भी मारे गए थे. नक्सली हिडमा के साथ उसकी पत्नी का भी खात्मा हो गया. नक्सली हिडमा की मौत की पटकथा शायद उसी दिन लिख दी गई थी, जब डिप्टी सीएम विजय शर्मा और हिडमा की मां की मुलाकात हुई थी. अगर हिडमा अपनी मां की बात मान लेता तो आज जिंदा होता.

11 नवबंर को छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने हिडमा की मां मडवी पुंजी से मुलाकात की थी. इस दौरान हिडमा की मां मडवी पुंजी ने एक भावुक वीडियो अपील की थी. उसमें उन्होंने बेटे हिडमा से कहा था, ‘कहां हो बेटा? घर लौट आओ. सरेंडर कर दो.’ उस दिन डिप्टी सीएम ने हिडमा की मां के साथ उस दिन खाना भी खाया था.

गद्दार कहलाना पसंद नहीं था हिडमा को

खूंखार नक्सली हिडमा इसलिए सरेंडर नहीं कर रहा था क्योंकि उसे गद्दार कहलाना बिल्कुल पसंद नहीं था. नक्सली नेता भूपति, रुपेश, चन्दना के सरेंडर के बाद संगठन में उन्हें गद्दार कहा जाता था. सरेंडर करने पर उसे भी गद्दार कहा जाता, इसलिए उसने सरेंडर नहीं किया. हिडमा को भारत में सबसे वांछित माओवादी कमांडर माना जाता था. 43 वर्षीय हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन की बटालियन संख्या एक का प्रमुख है, जिसे सबसे घातक माओवादी हमला इकाई कहा जाता है. 50 लाख रुपए का इनामी हिडमा, भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का एकमात्र आदिवासी था.

कई बड़े नक्सली घटनाओं का मास्टर माइंड था हिडमा  

2010 में दंतेवाड़ा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 76 जवानों के नरसंहार का मास्टरमाइंड बताया गया था. यह भारत में सुरक्षा बलों पर माओवादियों द्वारा किया गया सबसे घातक हमला था. 2013 में छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में टॉप कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की हत्या में शामिल होने का भी आरोप था. हिडमा को 2021 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 22 जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड भी माना जाता है. 

 

 

 

 

 

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