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किसके डर से आनन-फानन में सारंडा पहुंचे ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ? अभ्यारण्य बनाने पर सरयू राय ने क्या कहा ? पढ़िए पूरी खबर

सित. 30

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न्यूज डेस्क

रांची ( RANCHI) : जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष झारखण्ड के वन, र्प्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव द्वारा सारण्डा वन्य जीवन अभ्यारण्य घोषित करने और रिजर्व क्षेत्र घोषित करने हेतु जो प्रस्ताव है तत्काल उसे स्वीकार करे और आगामी 08 अक्टूबर के पहले इस आशय की अधिसूचना निर्गत करे. ताकि एशिया के सुप्रसिद्ध वन क्षेत्र सारण्डा को सरंक्षित किया जा सके.

 खनन से वन्यजीव और स्थायीन निवासियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा

विधायक सरयू राय का कहना कि सारण्डा क्षेत्र में खनन से विकास होगा, कतई विश्वसनीय प्रतीत नहीं हो रहा है. अबतक खनन ने सारण्डा के जल, जंगल, नदियों एवं जलस्रोतों, वन्यजीव एवं जन स्वास्थ्य पर कितना प्रतिकुल प्रभाव डाला है. इस पर विचार किया जाना आवश्यक है. सारण्डा वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित होने के बाद पर्यटन, वन उत्पाद आदि से आजीविका के जो साधन पैदा होंगे, वे खनन से वहां की जनता को मिलनेवाले लाभों से कई गुणा अधिक है और ये स्थायी लाभ हैं.

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खनन कंपनियों के तर्क से सहमत नहीं हैं विधायक

खनन और उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों द्वारा कहा जा रहा है कि सारण्डा क्षेत्र में करीब 40 लाख टन का लौह अयस्क रिजर्व है. देश के विकास के लिए इसका खनन आवश्यक है. लेकिन सरयू इससे सहमत नहीं है,उनका कहना है कि महत्वपूर्ण यह नहीं है कि सारण्डा में जमीन के अंदर कितना लौह अयस्क मौजूद है, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि आज झारखण्ड राजय के लिए अथवा पूरे देश के लिए इस्पात बनाने के कारखानों में कुल कितने लौह अयस्क की आवश्यकता है. अगले 50 वर्षों तक इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अबतक सारण्डा के जितने क्षेत्रों में लौह अयस्क और मैंगनींज का खनन पट्टा दिया गया है, वह पर्याप्त है. 50 वर्ष के बाद अगर देश को जरूरत होती है तो अभ्यारण्य घोषित होने वाले क्षेत्र में से कतिपय क्षेत्रों को डिनोटीफाई किया जा सकता है, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है. परंतु लौह अयस्क का व्यापार करने और इसका निर्यात करने के लिए सारण्डा क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा को दाँव पर लगाना उचित नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट के कड़े रूख के बाद सरकार हुई सक्रिय

29 अप्रैल, 2025 को झारखड सरकार के वन र्प्यावरण विभाग के सचिव ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सशरीर उपस्थित हुए थे, अभ्यारण्य घोषित होने में देरी के लिए क्षमा याचना किया था और कहा था कि झारखण्ड सरकार 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र में अभ्यारण्य घोषित करेगी और 13603,80 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को ससंगदा बुरू संरक्षण रिजर्व के रूप् में अधिसूचित करेगी. सरकार ने कहा कि प्रस्ताव वाईल्ड लाईफ इंस्टिच्यूट, देहरादून को भेजा गया है. इसका प्रतिवेदन आते ही सरकार इसे राज्य वन्यजीव पर्षद के सामने और तदुपरांत मंत्रिपरिषद में रखेगी और तब इस क्षेत्र को सारण्डा वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित कर दिया जाएगा. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष किया गया यह वादा सरकार ने पूरा नहीं किया है. इस कारण सर्वोच्च न्यायालय ने अगले 08 अक्टूबर, 2025 के पूर्व सारंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित नहीं  करने पर मुख्य सचिव को जेल भेजने का कड़ा आदेश पारित किया है.

8 अक्टूबर को सरकार अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखेगी

विधायक सरयू राय ने रांची में एक संवाददाता सम्मेलन में सारंडा के बारे में विस्तार से जानकारी देते कहा कि आज 30 सितंबर को झारखण्ड सरकार की एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति सारण्डा वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित करने के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन करने के लिए सारण्डा गया है. उप समिति द्वारा मंत्रिपरिषद को दिये गये परामर्श के अनुसार ही सरकार सर्वोच्च न्यायालय में आगामी 08 अक्टूबर, 2025 को अपना पक्ष रखेगी.

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