
सूर्या एनकाउंटर : आदिवासी आवाज को कुचलने की खरतनाक साजिश, पूर्व सीएम चंपई का पुलिस पर गंभीर आरोप
अग. 14
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रांची डेस्क
रांची ( RANCHI ) : गोड्डा के भाजपा नेता सूर्या हांसदा के एनकाउंटर में मौत मामले को लेकर भाजपा पूरी तरह राज्य सरकार और पुलिस पर हमलावर हो गई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के बाद अब पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने भी सूर्या एनकाउंटर मामले को लेकर राज्य पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए कई गंभीर रोप लगाया है और सीबीआई जांच की मांग की है.
हाथ में हथकड़ी लगे बीमार व्यक्ति ने कैसे पुलिस पर चलाई गोली
पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने अपने एक्स हैंडल पर पुलिस के कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब पुलिस किसी अभियुक्त को गिरफ्तार करती है, तो उसकी सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी होती है. क्या पुलिस यह बताएगी कि हथकड़ी लगे एक बीमार व्यक्ति ने पुलिस पर कैसे और कितनी गोलियां चलाईं? वे गोलियां किसे लगीं? देवघर से गोड्डा आने के क्रम में जिस व्यक्ति ने भागने की कोशिश नहीं की, वह गोड्डा आते ही हमलावर कैसे हो गया? आधी रात को उसे जंगल में ले जाने की जगह सुबह का इंतजार क्यों नहीं किया गया? पुलिस की गोलियां आरोपी के पैरों की जगह सीने पर क्यों लगी? अगर किसी गिरोह ने पुलिस पर हमला किया था, जैसा कि पुलिस कह रही है, तो उनमें से किसी को भी गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा सका? उस गिरोह को कैसे पता चला कि पुलिस स्व. सूर्या हांसदा को लेकर वहाँ आने वाली है? उन में से कोई घायल क्यों नहीं हुआ? कोई बच्चा भी इस कहानी पर विश्वास करेगा क्या? किसी भी मामले के आरोपी को न्याय देने के लिए अदालतें हैं, लेकिन जब पुलिस ही साजिश में शामिल दिखने लगे, तो न्याय की मूल अवधारणा ही दम तोड़ती नजर आती है।
आदिवासियों की आवाज कुचलने की खतरनाक साजिश
भाजपा नेता ने कहा कि चार बार चुनाव लड़ चुके स्व. सूर्या हांसदा की पत्नी ने देवघर में गिरफ्तारी के तुरंत बाद जिस बात की आशंका जताई थी, गोड्डा पहुंचते- पहुंचते वह सच हो गई. पिछले कुछ समय से, संथाल परगना में, कुछ खास लोगों के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को कुचलने की कोशिशें हो रही हैं. गोड्डा में स्व. सूर्या हांसदा के तथाकथित एनकाउंटर (?) के बाद उनके परिवार के बयानों से कहीं ना कहीं यह संदेश निकल कर आ रहा है कि अगर आप इस सरकार में आदिवासियों के पक्ष में एवं खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो सरकारी तंत्र की मदद से आपको खामोश कर दिया जायेगा. आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों को प्रोत्साहन एवं उनकी आवाज उठाने वालों को खामोश करने की यह प्रवृत्ति खतरनाक है. लेकिन अफसोस, झारखंड में राजनैतिक कारणों से यह अब सामान्य होती जा रही है. इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए, तभी सच सामने आयेगा और पीड़ित परिवार को न्याय मिल पायेगा.











