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कन्हैया-पप्पू यादव को तेजस्वी नहीं दे रहे तवज्जो, क्या गांधी-लालू परिवार के बीच है मतभेद ? पढ़िए इनसाइड स्टोरी

सित. 4

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उपेंद्र गुप्ता

पटना ( PATNA) : बिहार में वोटर अधिकार यात्रा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने चट्टानी एकता का परिचय देते हुए फ्रंट से ना सिर्फ लीड किया, बल्कि अपने तेवरों से पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार को चुनौती भी दी, यात्रा के दौरान पूरे बिहार में जनता का पूरा समर्थन मिला. लेकिन यह सब ऊपर और बाहर से सब ठीक ठाक दिख रहा था. लेकिन आपको यह अंदाजा है कि इस पूरे यात्रा में राहुल गांधी के दो सबसे चहेते और बिहार के दो लोकप्रिय नेता कन्हैया कुमार और पप्पू यादव फ्रंट पर क्यों नहीं दिखें ? दोनों को कभी यात्रा के दौरान ना तो फ्रंट पर लाया गया और ना ही मंच पर बैठने दिया गया. जबकि माले नेता दीपकंर भट्टाचार्या, मुकेश साहनी, हेमंत सोरेन, तेलगांना और तमिलनाडू के सीएम जैसे कई नेता सबसे आगे दिखें.  

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कन्हैया को तेजस्वी और पप्पू को लालू नहीं करते पसंद

कांग्रेस में शामिल होने के बाद से ही कन्हैया कुमार राहुल गांधी के सबसे चहेतों में शामिल हैं, कन्हैया की प्रशंसा ना सिर्फ गांधी परिवार करता है, बल्कि कांग्रेस तमाम बड़े नेता भी मुक्तकंठ से कन्हैया की तारीफ करते हैं, राहुल गांधी के भारत जोड़ो अभियान में कन्हैया और राहुल की जोड़ी सबने देखी थी, लेकिन बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान कन्हैया को राहुल गांधी से दूर रखा गया. इसका एक मात्र कारण तेजस्वी यादव हैं. कन्हैया हर द़ष्टिकोण से तेजस्वी से आगे हैं. तेजस्वी पर कन्हैया भारी पड़ते हैं. इसलिए तेजस्वी से उन्हें दूर रखा जाता है.

2019 के लोकसभा चुनाव में जब कन्हैया सीपीआई के टिक़ट पर बेगुसराय से चुनाव लड़ रहे थे, तब तेजस्वी ने उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार दिया. जबकि 2024 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी कन्हैया को बिहार के किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ने दिया, नतीजा कांग्रेस ने कन्हैया को दिल्ली से भाजपा के म्मीदवार मनोज तिवारी के खिलाफ उतारने को मजबूर हुई. कन्हैया के प्रति तेजस्वी के इतनी बेरूखी के बावजूद राहुल गांधी चुप रहे.

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मंच से पर चढ़ने से सुरक्षाकर्मियों ने कन्हैया-पप्पू को रोका

ऐसा ही हाल पप्पू यादव के साथ भी है. लालू यादव पप्पू यादव को बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं. 2024 में पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे , इसलिए पप्पू यादव ने कांग्रेस ज्वाइन भी कर ली, लेकिन लालू यादव टिकट नहीं देने पर अड़ गए, और बीणा भारती को राजद का टिकट दे दिया. जिससे पप्पू यादव को निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा, इसके बावजूद तेजस्वी पप्पू यादव को हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, फिर भी पप्पू यादव चुनाव जीत गए, लेकिन पप्पू यादव कांग्रेस से जुड़े रहे. वोटर अधिकार यात्रा से पहले चुनाव आयोग कार्यालय पर प्रदर्शन के दौरान तो तेजस्वी ने कन्हैया और पप्पू यादव को मंच पर ही नहीं चढ़ने दिया, दोनों को उनके सुरक्षा कर्मियों ने मंच पर चढ़ने से पहले ही रोक दिया. वहीं वोटर अधिकार यात्रा के समापन पर भी मंच पर चढ़ने से रोका गया, जिसके बाद सड़क किनारे पप्पू यादव अलग कुर्सी पर बैठे दिखाई दिए.       

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समझौता करने को विवश हैं राहुल गांधी

बिहार में पार्टी को मजबूत करने के लिए राहुल गांधी को मजबूर होना पड़ा है उन्हें चुप रहना पड़ा है. कन्हैया और पप्पू यादव को लेकर राहुल गांधी हमेशा समझौता कर रहे हैं, तो इसका इंपेक्ट भी दिख रहा है. वोटर अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी ने राहुल को देश का गला पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया, इस म्मीद में राहुल भी उनके नाम का सीएम उम्मीदवार घोषित कर देंगे, लेकिन यहां भी खामोश हो गए. मीडिया के लाख कुरेदने के बावजूद राहुल गांघी ने तेजस्वी के नाम पर मुहर नहीं लगाई. तब तेजस्वी ने राहुल से म्मीद छोड़ खुद ही अपने नाम की घोषणा करना शुरू कर दिया. लेकिन असली लड़ाई तब सामने दिखेंगी जब दोनों के बीच सीट बंटवारा का होगा.     

 

 

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