
गरीबी से जुझ रहा स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व विधायक का परिवार, बहू और पोता कर रहे मजदूरी, आखिर कौन हैं यह हस्ती ?
नव. 25
2 min read
3
380
0

आगस्टीन हेम्बरम
दुमका ( DUMKA) : झारखंड अलग राज्य बने 25 साल हो गया. कितना विकास हुआ और कितना नहीं, इस पर बहुत चर्चा हो सकती है, जिसकी भी सरकार बनी, सभी ने अपने-अपने दावे किए और कर भी रहे हैं, पर सच्चाई कितनी है यह तो घरातल पर जाने के बाद ही समझ में आता है. यहां हम एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व विधायक के बारे में बता रहे हैं, जिसकी मौजूदा परिस्थिति जानकर चौंक जाएंगे .....
बहू और पोता मजदूरी कर जीवनयापन करने को हैं मजबूर
दुमका जिला के काठीक ुंड प्रखंड के पिपरा पंचायत अंतर्गत तिलायटांड गांव के स्वतंत्रता सेनानी व अखंड बिहार के पूर्व विधायक चडरा मुर्मू उर्फ चंदा मुर्मू के पुत्रवधू लुखी हेम्बरम और पौत्र अनिकेत मुर्मू मजदूरी कर जीवन बसर कर रहे हैं. बातचीत के दौरान पुत्रवधू लुखी हेम्बरम ने बड़े ही सहज भाव से कहते हैं कि उसके ससुर गांधीवादी विचारधारा के थे. उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल केजरीवाल के नेतृत्व में अहम् भूमिका निभाई थी.इसके लिए उन्हें 15 अगस्त 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र भी भेंट कर सम्मानित किया गया था.

1969 शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र सीट से कांग्रेस प्रत्याशी को हरा बनें विधायक
स्वतंत्रता सेनानी चडरा मुर्मू शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र सीट से 1969 वर्ष में निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक चुने गए थे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी बरियार हेम्बरम को पराजित किया था. उनकी बहू बताती है कि उनका पति दीबू मुर्मू ससुर के निधन होने के कारण मैट्रिक परीक्षा तक पास नहीं कर सकें, और सास ताला हांसदा के कहने पर मेरे साथ सामाजिक रीति रिवाज से शादी कर ली थी. तब मेरी सास ताला हांसदा को प्रतिमाह 265 रपया 50 पैसे पारिवारिक पेंशन मिलता था जिससे परिवार चलाना बहुत मुश्किल था.
पुत्रवधू लुखी हेम्बरम ने बताया कि 2013 में सास के निधन के बाद और आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है. 2017 में मेरे पति दीबू मुर्मू का भी निधन होने के बाद तो दूसरे के घर में मजदूरी कर अपने एकलौता बेटा अनिकेत मुर्मू को शिक्षा दिलाना मेरे जीवन में हर दिन परेशानी से गुजरते हैं .
बीएड करने के बाद भी पोता दर-दर भटक रहा
पूर्व विधायक की बहू कहती है कि किसी तरह मजदूरी कर बेटे अनिकेत को 2024 में बीएड करा ली, लेकिन सरकार के नियमावली और नीतिगत नियमों के कारण बेटा भी बेरोजगार घर में बैठा हुआ है.
ना आवास मिला, ना विधवा पेंशन और ना मैयां सम्मान योजना





