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बिना नक्शा-मास्टर प्लान के विकास कार्य मामले ने पकड़ा तूल, सेकेंड एंट्री को नया मुख्य गेट बनाने की साजिश !

सित. 19

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न्यूज डेस्क

चक्रधरपुर ( CHAKRADHARPUR ) : चक्रधरपुर रेल मंडल मुख्यालय के रेलवे स्टेशन पर अमृत भारत योजना के तहत विकास कार्य को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. आरोप है कि रेलवे ने बिना नक्शे और मास्टर प्लान के ही मुख्य एंट्री गेट के सामने दुकानों को तोड़ दिया, जबकि असली विकास कार्य स्टेशन की सेकेंड एंट्री पर चल रहा है. इस पूरे मामले ने अब तूल पकड़ लिया है और रेलवे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.

 

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इंजीनियरिंग विभाग की सफाई

यह मामला तब और गरमा गया जब मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद यात्रियों और स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की. रेल मंत्री और दक्षिण पूर्व रेलवे के अधिकारियों को टैग करते हुए लोगों ने पूछा कि जब मुख्य गेट पर कोई मास्टर प्लान या नक्शा ही नहीं था तो वहां तोड़फोड़ क्यों की गई. महेश घोष नामक यात्री ने भी इस मुद्दे को एक्स प्लेटफॉर्म पर उठाया, जिसके बाद रेलवे इंजीनियरिंग विभाग को सफाई देनी पड़ी.

इंजीनियरिंग विभाग ने अपने जवाब में कहा कि अमृत भारत योजना के तहत चक्रधरपुर स्टेशन का असली विकास कार्य मुख्य गेट पर नहीं बल्कि सेकेंड एंट्री पर हो रहा है. विभाग के अनुसार सेकेंड एंट्री पर भव्य स्टेशन भवन, नया एंट्री गेट और अन्य यात्री सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है. मुख्य गेट के सामने की गई तोड़फोड़ केवल वैध और लाइसेंसी दुकानों को हटाने के लिए की गई थी.

 

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नौ माह पहले ही दुकानदारों को क्यों हटाया ?

हालांकि, रेलवे के इस जवाब में भी विकास कार्य का नक्शा या मास्टर प्लान जारी नहीं किया गया है. इससे यात्रियों और स्थानीय लोगों की शंका और गहरी हो गई है. लोग सवाल कर रहे हैं कि जब मुख्य गेट पर कोई योजना ही नहीं थी, तो वहां नौ महीने पहले दुकानों को क्यों तोड़ा गया. इस कारण से यात्रियों को पानी, भोजन और अन्य जरूरी सामान के लिए भटकना पड़ रहा है.

 यात्रियों का आरोप है कि रेलवे ने विकास कार्य की आड़ में मुख्य गेट को वीरान बना दिया है. अब यह चर्चा भी तेज हो गई है कि कहीं रेलवे सेकेंड एंट्री को नया मुख्य गेट बनाने की साजिश तो नहीं रच रहा. क्योंकि भव्य ढांचा और यात्री सुविधाएं अब मुख्य गेट पर नहीं बल्कि सेकेंड एंट्री पर खड़ी की जा रही हैं. अगर ऐसा हुआ तो यात्रियों को स्टेशन तक पहुंचने में अतिरिक्त दूरी और दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

 लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि रेलवे नियम के अनुसार विकास कार्य का शिलापट तक नहीं लगा रहा है, जिससे पूरे काम की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं. बिना नक्शे के तोड़फोड़ को लोग कमीशनखोरी और ठेकेदार-अधिकारी गठजोड़ से जोड़कर देख रहे हैं. उनका कहना है कि इस पूरे मामले में यात्रियों की सुविधा से ज्यादा ठेकेदारों और अधिकारियों का निजी फायदा प्राथमिकता में रखा गया है.

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