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अचानक राज्य में नए सत्ता समीकरण को लेकर सियासी चर्चा क्यों हुई तेज ? पढ़िए विशेष खबर में

नव. 30

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उपेंद्र गुप्ता

रांची ( RANCHI) : बिहार विधानसभा चुनाव के समय से ही झारखंड में सत्ता समीकरण बदलने की चर्चा सियासी गलियारे में खूब होती आ रही है. जब झामुमो को बिहार में इंडी गठबंधन ने एक भी सीट नहीं दी और झामुमो का बिहार में चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया. इसके बाद सत्ता दल झामुमो के मंत्री और नेताओं ने तल्ख तेवर में राजद और कांग्रेस को घोखा देने का आरोप लगाया और समय आने पर इस अपमान का उचित जवाब देने की बात मीडिया के माध्यम से की. उस समय यह माना गया कि बिहार चुनाव के बाद हेमंत सरकार से राजद का बाहर होना तय है. पर कांग्रेस को लेकर सरकार का रूख साफ नहीं था, परन्तु कांग्रेस के मौन रहने पर झामुमो ने नाराजगी जरूर जताई और उसे भी जिम्मेवार माना था. अब चुनाव खत्म हो गया, तो सबकी नजरें हेमंत सरकार के अगले फैसले पर टिकी है.

अचानक पत्नी कल्पना के साथ दिल्ली गए सीएम हेमंत

झारखंड में सत्ता समीकरण बदलने की चर्चा अचानक 28-29 नवंबर को और जोर पकड़ लिया, जब अचानक सीएम हेमंत सोरेन पत्नी और कल्पना सोरेन के साथ चार्टर्ड प्लेन से रात में दिल्ली रवाना हो गए. 28 नवंबर शुक्रवार को सीएम हेमंत सोरेन को कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वे कोर्ट नहीं गए और  दिनभर मोरहाबादी मैदान में सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में व्यस्त रहे. लेकिन रात में अचानक चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. दूसरे दिन सीएम के दिल्ली जाने की खबर फैलते ही सियासी चर्चा शुरू हो गई. सोशल मीडिया में कई तरह की खबरें फैलने लगी, सीएम का दिल्ली जाना निजी कार्यक्रम है या राजनीतिक मामला इस पर अधिकारिक रूप से सरकार या पार्टी स्तर पर किसी ने कुछ नहीं कहा. जिससे चर्चाओं का बाजार खूब गर्म है. सियासी हलचल तेज हो गई. चर्चाओं के बीच जानकार, झामुमो-बीजेपी के बीच नए समीकरण बनने की भी संभावना जताने लगे,तो कुछ अलग समीकरण के तहत सरकार बनाने की बात करने लगे.  


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कांग्रेस नेता बंधु तिर्की के बयान ने दी हवा

झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की ने 28 नवंबर शुक्रवार को ही अपने रांची आवास पर संवाददाता सम्मेलन किया. उसमें उन्होंने एक ऐसा बयान दिया कि राज्य में सत्ता समीकरण बदलने के संकेत को काफी बल मिलता है. बंधु तिर्की ने मीडिया के सामने केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा पर बड़ा आरोप लगाते कहा कि केंद्र सरकार और भाजपा अब षड्यंत्र रचकर राज्य में गठबंधन को तोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है. गठबंधन को तोड़ने के लिए बीजेपी ने आर्थिक रूप से राज्य को कमजोर करने की योजना बनाई है.

बंधु तिर्की के इस बयान को सीधे तौर खारिज नहीं किया जा सकता. सरकार के अंदरखाने क्या चल रहा है, उन्हें इसकी भनक जरूर होगी, क्योंकि उनकी बेटी शिल्पा नेहा तिर्की ना सिर्फ मंत्री हैं, बल्कि सीएम हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के काफी करीब भी हैं. इसलिए सीएम के दिल्ली जाने और बंधु तिर्की के बयान को लेकर लोग अपने-अपने हिसाब से सियासी चर्चा करने लगे.

हेमंत सरकार में मंत्री और विधायकों की स्थिति

झारखंड विधानसभा चुनाव में 81 सीटों में से झामुमो ने कुल 34 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं कांग्रेस को 16, राजद को 4 और सीपीएआईएम  को 2 सीटें मिली थी, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 24 सीटें मिलीं. हेमंत सरकार को मौजूदा समय में 56 विधायकों का भारी-भरकम समर्थन प्राप्त है. हेमंत सरकार में सीएम के आलावा झामुमो के 6, कांग्रेस के 4 और राजद के 1 विधायक मंत्री हैं. पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद झामुमो कोटे का मंत्री पद खाली है, लेकिन घाटशिला सीट के उपचुनाव में उनके बेटे को जीत मिली है, पर अभी तक मंत्री नहीं बनाया गया है और इसे अभी तक रिक्त रखा गया है.  


अगर झामुमो इंडी गठबंधन से अलग हुआ तो उसके पास अपने 34 विधायक बचेंगे और साथ कम से कम 7 और विधायकों का समर्थन हासिल करना होगा. गठबंधन से अलग होने पर सरकार में कांग्रेस के 4, राजद के 1 मंत्री पद रिक्त हो जाएगा, साथ ही झामुमो का 1 मंत्री पहले से खाली है. इसे देखते हुए कांग्रेस और राजद में टुट संभावना ज्यादा दिखती है, इसके आलावा जयराम महतो 1, जदयू 1, आजसू 1 के भी विधायक है. चर्चा तो यह भी है कि झामुमो-भाजपा की भी सरकार बन सकती है.


बहरहाल, सीएम हेमंत सोरेन राजनीति के नए खिलाड़ी नहीं है, सरकार और पार्टी कैसे चलाना है, इसमें वे अब माहिर हो चुके हैं,उन्हें अच्छी तरह पता है कि कब दांव चलना है और कब तीर निशाने पर लगाना है. जल्दीबाजी में सीएम कोई फैसला नहीं करने वाले हैं. लेकिन यह भी सच है कि कुछ तो होने वाला है..... बस समय का इंतजार है.        

 

 

 

 

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